रविवार, 30 दिसंबर 2012


                                इस विरोध को क्या नाम दूं



दिल्ली बलात्कार मामले को लेकर देशभर में 16 दिसंबर से ही बलात्कारियों को फांसी से बड़कर सजा की मांग चल रही है. दिल्ली के बलात्कार विरोधी लोगों ने दिल्ली की लाइफ-लाइन बंद कर दी. हंगामा, पथराव, प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ नारेबाजी आदि तरह-तरह के उपक्रम किए जा रहे है. उसके बाद 29 की सुबह जब दामिनी की मौत की खबर बाजार में आई तो एक बार फिर दिल्लीवासियों ने दिल्ली में उत्पात मचाया. तब मेरा कहना है कि क्या यह सही है?
मुझे नहीं लगता है कि यह सही है. क्योकि देश में प्रतिदिन बलात्कार हो रहे है, लेकिन उनके विरोध में कोई आवाज नहीं उठ रही है, तो मेरे कहने का मतलब है कि जो बलात्कार दिल्ली में हो  उस पर जनता प्रदर्शन करती है और जो एक छोटे से गांव में हो वह क्या है? दिल्ली प्रदर्शन कारियों को इस मुद्दे पर विचार करने की जरुरत है ना कि काम छोड़ प्रदर्शन करने की.
हमारा रोना है कि हमारा संविधान लचीला है. उसमें तुरंत किसी को फांसी देने का प्रावधान नहीं है. तब बलात्कारियों को तत्काल फांसी की सजा कैसे दी जा सकती है.





2 टिप्‍पणियां:

  1. शब्दों का आईना अच्छा लगा..
    वर्ष की सांध्यबेला पर सुंदर प्रस्तुति
    नववर्ष की हार्दिक बधाई।।।

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